अयोध्या
हड़ताल के दूसरे दिन भी सभी बैंकों में ताला लटकता रहा। कामकाज पूरी तरह ठप रहा। कई एटीएम पर धन निकालने के लिए लोगों की कतार लगी रही। शहरी क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में हड़ताल का असर रहा। दो दिन में तकरीबन एक हजार करोड़़ का कारोबार प्रभावित हुआ। चेक क्लीयरिग भी ठप रही। कर्मियों की सभा में निजीकरण का जबर्दस्त विरोध हुआ। इस दौरान नारेबाजी होती रही।
मंगलवार सुबह से ही बैंकों के कर्मचारी एकजुट होकर सिविल लाइन स्थित सेंट्रल बैंक के सामने एकत्र होने लगे। बाद में यूनाईटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के बैनर तले सभा हुई। इसका संयोजन सुभाषचंद्र श्रीवास्तव ने किया। सेवानिवृत बैंककर्मियों ने भी सभा में हिस्सा लेकर सरकार की नीतियों के खिलाफ आर-पार के संघर्ष का सुझाव दिया। सभा की अध्यक्षता एसपी चौबे व संचालन मंत्री डीसी टंडन व संयुक्त मंत्री केके रस्तोगी ने किया। इस मौके सुभाषचंद्र श्रीवास्तव ने बैंकों के निजीकरण के प्रस्ताव को जनता के साथ धोखा बताया। साथ ही सरकार को सुझाव दिया कि जनहित में निजी बैंकों को भी राष्ट्रीयकृत कर दिया जाए। डीसी टंडन ने कहाकि निजीकरण से देश की 90 फीसद जनता का विकास नहीं हो पाएगा। सेंट्रल बैंक स्टॉफ एसोसिएशन के प्रांतीय महामंत्री केके रस्तोगी ने कहाकि राष्ट्रीयकृत और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक देश के आर्थिक विकास की रीढ़ हैं।
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