हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि के त्यौहार का काफी महत्व होता है. हर महीने चतुर्दशी पर पड़ने वाली शिवरात्रि भी बहुत महत्व रखती है. शिवपुराण के मुताबिक फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा गया है. इस बार महाशिवरात्रि 11 मार्च को मनाई जाएगी. शिवभक्त इस दिन व्रत रखकर अपने आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. चलिए बताते हैं आपको शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर
ज्यादातर लोग मानते हैं कि महाशिवरात्रि पर शिव और पार्वती का विवाह हुआ था. लेकिन शिव पुराण में एक और कथा बताई गई है जिसके मुताबिक सृष्टि की शुरुआक में भगवान विष्णु और ब्रह्मा में विवाद हो गया कि दोनों में कौन श्रेष्ठ हैं. दोनों झगड़ रहे थे कि तभी उनके बीच में एक विशाल अग्नि-स्तंभ प्रकट हुआ जिसके तेज को देख दोनों चौंक गए.
उस स्तंभ का मूल स्त्रोत पता लगाने के लिए विष्णु, वराह का रूप धारण करके पाताल की ओर गए और ब्रह्मा हंस का रूप धारण करके आकाश की ओर चले गए. लेकिन बहुत कोशिशों के बाद भी उन्हें उस अग्नि-स्तंभ का ओर-छोर नहीं मिला. फिर स्तंभ से भगवान शिव ने दर्शन दिए. उसी दिन से भगवान शिव का प्रथन प्राकट्य महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाने लगा.
कहा जाता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा करने पर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. दांपत्य जीवन में खुशियां लाने के लिए, मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त करने के लिए भक्त इस दिन व्रत करते हैं. मान्यता है कि जिन लड़कियों की शादी में अड़चने आ रही हों, उन्हें अवश्य ये व्रत रखना चाहिए. मान्यता है कि जो भक्त इस व्रत को रखते हैं, भगवान शिव सदैव उनपर अपनी कृपादृष्टि बनाए रखते हैं.
मान्यता है कि महादेव के आशीर्वाद से घरों में सुख-समृद्धि बनी रहती है.इस दिन जल्दी सुबह उठकर स्नान करने के बाद पूजा के स्थान को साफ कर लें. इसके बाद महादेव को पंचामृत से स्नान करें. फिर उन्हें तीन बेलपत्र, भांग, धतूरा, जायफल, फल, मिठाई, मीठा पान, इत्र अर्पित करें. फिर चंदन और खीर का भोग लगाएं.
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