नई दिल्ली
वस्तु एवं सेवा कर (GST) से जुड़े नियमों में हाल में कुछ प्रमुख संशोधनों की घोषणा हुई है। इन उपायों का लक्ष्य फर्जी बिलों के जरिए जीएसटी सिस्टम में होने वाली धोखाधड़ी पर अंकुश लगाना है। चार्टर्ड अकाउंटेंट गौरव आर्य ने दैनिक जागरण से खास बातचीत में कहा कि देशभर में फेक बिलिंग की समस्या बहुत तेजी से बढ़ रही थी। इस वजह से राजस्व संग्रह में कमी देखने को मिली। सरकार ने इसपर विराम लगाने के लिए कुछ मामलों में बिना किसी कारण बताओ नोटिस के जीएसटी रजिस्ट्रेशन को सस्पेंड करने का प्रावधान भी किया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के कड़े उपाय से बिलों के फर्जीवाड़े के जरिए फ्रॉड करने वालों पर लगाम लगेगा।
आर्य ने बताया कि अगर GSTR-1 में टैक्स को लेकर दिए गए विवरण और GSTR-3B में दिए गए आंकड़ों में अगर मिलान नहीं होता है तो इस तरह के कदम उठाए जा सकते हैं। साथ ही आपने जीएसटी रिटर्न ऐसे फाइल की है, जिसमें सरकार की किसी गड़बड़ी का अंदेशा होता है, तो जीएसटी रजिस्ट्रेशन सस्पेंड किया जा सकता है। इसके अलावा जिन असेसीज का टर्नओवर 50 लाख रुपये से ज्यादा है, उन्हें अनिवार्य रूप से एक फीसद का टैक्स जमा करना है। ऐसे टैक्सपेयर्स इनपुट टैक्स से अपनी कर देनदारी पूरी नहीं कर सकते हैं। इन तीनों मामलों में जीएसटी रजिस्ट्रेशन सस्पेंड हो सकता है।
आर्य ने IRN को लेकर बताया कि E-Invoicing एक अक्टूबर से प्रभावी हुई है। एक जनवरी से इसमें कुछ और चीजें प्रभावी हुई हैं। इनमें 100 करोड़ रुपये से अधिक के टर्नओवर वाले असेसीज पर भी इसे लागू किया गया है। अब बिना जीएसटी रजिस्ट्रेशन के कोई भी Invoice अवैध माना जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर आप 31 मार्च को Invoice जेनरेट कर रहे हैं तो 31 मार्च का ही रजिस्ट्रेशन होना चाहिए।
आर्य ने इनपुट टैक्स क्रेडिट से जुड़े नियमों में हुए संशोधन के बारे में कहा कि 'सरकार ने यह प्रावधान किया है कि इनपुट टैक्स क्रेडिट तभी मिलेगा, जब वो हमारे इलेक्ट्रॉनिक पोर्टल में शो होगा। अगर सप्लायर ने रिटर्न फाइल नहीं किया, हमारे पोर्टल में शो नहीं हुआ तो उसका बेनिफिट हमें नहीं मिलेगा।'
उन्होंने जीएसटी सिस्टम की दिक्कतों को रेखांकित करते हुए कहा कि हम जीएसटी रिटर्न में किसी तरह का संशोधन नहीं कर सकते हैं। रिवीजन ना हो पाने अगले रिटर्न में उसमें संशोधन करना होता है। कई बार वह संशोधन उचित तरीके से हो नहीं पाता है।
गौरव आर्य ने बताया कि जीएसटी में हरेक असेसी या टैक्सपेयर्स को दो रिटर्न भरने होते हैं। बकौल आर्य हर असेसी को आज के समय में GSTR-1 और GSTR-3B के रूप में दो फॉर्म भरने होते हैं। GSTR-1 सेल्स रिटर्न होता है। इसमें बिक्री की डिटेल्स देनी होती है। पांच करोड़ से कम के असेसीज को तिमाही आधार पर फाइलिंग करनी होती है। पांच करोड़ से ऊपर के असेसीज के लिए मासिक आधार पर फाइलिंग होती है। वहीं, GSTR-3B एक तरह का समरी रिटर्न होता है, जिसमें हरेक महीने का लेखा-जोखा भरना होता है। इनमें खरीद, बिक्री के साथ टैक्स की देनदारी और उनके भुगतान का विवरण भरना होता है।
No comments:
Post a Comment