शाहजहांपुर
स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन जिले में 50 फीसद से अधिक चिकित्सकों की कमी है। जिस वजह से फार्मासिस्टों से ही मरीज उपचार कराने को मजबूर हो रहे है। सामुदायिक, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अलावा जो शहरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोले गए थे, वह अब बिना चिकित्सक के ही संचालित हो रहे हैं। ऐसे में मरीजों की जान के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है।
जिले को भले ही मेडिकल कॉलेज की सौगात मिल चुकी हो, लेकिन वहां पर्याप्त सुविधाएं न होने की वजह से ज्यादातर लोग अभी भी सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के सहारे उपचार करने को मजबूर हो रहे है। मेडिकल कालेज में मरीजों का इलाज भगवान भरोसे ही चल रहा है। डॉक्टरों की कमी की वजह से फार्मासिस्ट ही ज्यादातर दवाएं लिखते हैं। जबकि सरकार यह स्पष्ट कर चुकी है कि फार्मासिस्ट दवा न लिख सकेंगे। ऐसे में जिले में स्वास्थ्य सेवाएं और ज्यादा खराब हो सकती है। सबसे ज्यादा स्थिति कटरी यानी कलान तहसील क्षेत्र की खराब है। यहां एक डॉक्टर के सहारे तीन केंद्र संचालित हो रहे है। परौर सामुदायिक व विक्रमपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टर न होने की वजह से यहां ताला लगा रहता है। बुधवार को भी इन दोनों केंद्रों पर ताला लटक रहा था। जबकि कलान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्रभारी आरेंद्र यादव अपने कार्यालय में मरीजों को देख रहे थे। इसके अलावा फार्मासिस्ट भी मरीजों को दवाएं लिख रहे थे। ताकि किसी को वापस न जाना पड़े। इसी तरह शहर के ककराकला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर भी फार्मासिस्ट ही मरीजों को दवाएं लिखते मिले।
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