न्यूयॉर्क
भूजल के अंधाधुंध दोहन से न सिर्फ भूमिगत जल के स्तर में गिरावट आती है बल्कि जमीन भी धंस जाती है। कई बार हमें ऐसी खबरें पढ़ने-सनुने को मिलती हैं कि अमुक जगह सड़क या जमीन धंस गई। ज्यादातर मामलों में ऐसा भूजल के अत्यधिक दोहन के कारण ही होता है। एक नए अध्ययन में इसके दुष्परिणाम के प्रति आगाह किया गया है। इसमें बताया गया है कि भूजल के अत्यधिक दोहन व अन्य कुदरती कारणों से भविष्य में धरती का एक बड़ा भाग धंस सकता है, जिससे लगभग 63 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित होंगे। इसका सबसे ज्यादा असर एशियाई देशों में देखने को मिलेगा।
शोधकर्ताओं ने चेताते हुए कहा कि यदि ऐसा हुआ तो अगले चार वर्षो में 9.78 ट्रिलियन (लाख करोड़) डॉलर की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) चौपट हो जाएगी। जर्नल साइंस में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि वर्ष 2024 तक विश्व की 19 फीसद आबादी (वैश्विक जीडीपी का 21 प्रतिशत) जमीन की सतह धंसने के लिए जिम्मेदार होगी।
इस अध्ययन के लेखकों कहा, 'हमारे निष्कर्ष विश्वभर के नीति-नियंताओं को भूजल दोहन के दुष्परिणामों से बचने के लिए नीतियां बनाने पर जोर देते हैं।' इस अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता गेरार्डो हेरेरा गार्सिया उनकी टीम ने बड़े पैमाने पर लिट्रेचर रिव्यू कर यह पता लगाया कि पिछली शताब्दी के दौरान 34 देशों के 200 स्थानों पर भूजल की कमी के कारण जमीन धंसने की घटनाएं हुई थीं। लिट्रेचर रिव्यू से आशय किसी विषय पर विशेषज्ञों द्वारा किए गए अध्ययन की समीक्षा से है।
No comments:
Post a Comment