मऊ
वैश्विक महामारी कोरोना कोविड-19 के संक्रमण के बीच शीर्ष रेलवे प्रबंधन की ओर से जो भी एक्सप्रेस व मेल ट्रेनें चलाई जा रही हैं, उनमें बिना आरक्षित टिकट लिए किसी को बैठने की इजाजत नहीं है। बावजूद इसके एक्सप्रेस ट्रेनों में टिकट निरीक्षकों के अपना काम ठीक से न करने के चलते बिना टिकट यात्री धड़ल्ले से सफर कर रहे हैं। गोदान एक्सप्रेस में मुहम्मदाबाद गोहना से मुंबई के लिए सवार हुए एक दर्जन बेटिकट यात्रियों के मिलने से उठे सवाल ने रेल अधिकारियों में हड़कंप मचा रखा है।
सबसे पहला सवाल यह है कि जब कोरोना वायरस के चलते शारीरिक दूरी और मास्क को लेकर रेलवे स्टेशनों पर इतनी पाबंदियां हैं तो सारे निगरानी तंत्र को धता बताते हुए बेटिकट यात्री कैसे ट्रेनों में घुस जा रहे हैं। दूसरा सवाल, कहीं टिकट निरीक्षकों की मिलीभगत से ही तो नहीं यह खेल चल रहा है। ट्रेनों से उतरने वाले कुछ यात्रियों से जब इस बाबत बात की गई तो उनका भी कहना था कि ट्रेनों में बहुत सारे लोग बिना टिकट देखे जाते हैं जो टीटीई के आने पर उन्हें अकेले में ले जाकर बातचीत करते हैं। यदि यह सब कुछ हो रहा है तो बड़ा सवाल यह है कि रेलवे की सारी सतर्कता का मतलब क्या है। हालांकि अभी तक जो भी मामला सामने आया है वह मुहम्मदाबाद गोहना रेलवे स्टेशन से चढ़े मजदूरों से जुड़ा है। इस घटना के बाद से रेलवे के सचल टिकट निरीक्षकों की कार्यप्रणाली पर ढेरों सवाल उठने लगे हैं। मऊ जंक्शन के मुख्य प्रवेश द्वार पर टिकट चेकिग की जा रही है, जबकि छोटे स्टेशनों पर यह व्यवस्था नदारद है।
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