Dr. Shashank Shekhar Mishra
लखनऊ
कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड में पुलिस व जिला प्रशासन के अधिकारियों का काला सच सामने आया है। विकास दुबे की काली कमाई के साम्राज्य को बढ़ाने से लेकर उसके गिरोह के सदस्यों को शस्त्र लाइसेंस दिलाने में अधिकारी मददगार थे। अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआइटी) की जांच में भी पुलिस के अपनों की ही मुखबिरी करने की पोल भी खुली है। एसआइटी ने अपनी करीब 3200 पन्नों की जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। जांच रिपोर्ट के करीब 700 पन्ने मुख्य हैं, जिनमें दोषी पाए गए अधिकारियों व कर्मियों की भूमिका के अलावा करीब 36 संस्तुतियां शामिल हैं।
सूत्रों का कहना है कि एसआइटी ने कानपुर के तत्कालीन 80 अधिकारियों व कर्मियों को अपनी जांच में दोषी पाया है और उनके विरुद्ध अलग-अलग कार्रवाई की संस्तुति की गई है। इनमें करीब 50 पुलिस अधिकारी व पुलिसकर्मी हैं। दोषियों में जिला प्रशासन के अधिकारी व कर्मी भी शामिल हैं। एसआइटी ने प्रशासनिक सुधार से जुड़ी तीन संस्तुतियां भी की हैं। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी का कहना है कि जांच रिपोर्ट का अध्ययन कराया जा रहा है। ध्यान रहे, कानपुर के बिकरू गांव में दो जुलाई 2020 की रात कुख्यात विकास दुबे व उसके साथियों ने सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की घेरकर हत्या कर दी थी। इस जघन्य घटना के बाद कानपुर पुलिस व प्रशासन की भूमिका पर बड़े सवाल खड़े हुए थे।
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